Wednesday, 9 September 2015

Manglik Dosh in Kundali Hindi

वर या वधू  की जन्म कुंडली में 1,4,7,8 एवं 12 भाव में मंगल हो तो मांगलिक दोष होता है जो एक दूसरे के जीवन के लिए अरिष्ट कारी होता है। इन भावो में शनि होने से भी मंगल जैसा दोष माना जाता है। वर की कुंडली में मांगलिक योग कन्या के लिए और कन्या की कुंडली में मांगलिक योग होने पर वर के लिए अनिष्ट कारक माना  जाता है।  यदि दोनों की कुण्डलियाँ मांगलिक हो तो विवाह में कोई दोष नहीं माना जाता है। इन स्थितियों में मंगल दोष शांत हो जाता है :-
1. मांगलिक दोष से भिन्न दूसरी कुंडली के 1,4,7,8 एवं 12 भाव में शनि हो तो मंगल दोष शांत हो जाता है।
2. बली गुरु या शुक्र लग्न या 7 भाव में हो तो मंगल  दोष नहीं माना जाता है।
3. मेष  राशि का मंगल लग्न  भाव में हो या चौथे भाव में वृश्चिक का मंगल हो या सातवे स्थान में  मकर का मंगल  हो या आठवे स्थान में कर्क का मंगल हो या बारहवें  स्थान में यानि बारहवें  भाव में धनु राशि   का मंगल हो तो मंगल दोष नहीं माना जाता है ।
4. यदि वधु की  कुंडली में जहाँ मंगल हो उसी स्थान यानी भाव में वर की कुंडली में कोई प्रबल पाप ग्रह हो  तो मंगल दोष नहीं रहता है।
5. जन्म कुंडली के दूसरे  भाव में चन्द्र शुक्र हो या मंगल गुरु की युति हो या गुरु पूर्ण दृष्टि  से मंगल को देखता हो या केंद्र भाव में राहु अथवा मंगल राहु की युति हो तो मंगल दोष नही रहता है।

6. जन्म कुंडली के केंद्र त्रिकोण में शुभ-ग्रह एवं कुंडली के 3,6,8,11 वें भाव में पाप-ग्रह हो तो मंगल दोष शांत हो जाता है। 
7. केंद्र में चन्द्र या चन्द्र मंगल की युति हो तो भी मंगल दोष नहीं रहता है। 
8. वक्री, नीच, अस्त अथवा शत्रु राशि स्थित मंगल 1,4,7,8 एवं 12 वें भाव में हो तो मंगल दोष नहीं रहता है।
9. कहीं कहीं ऐसा भी मत है कि वर वधु गुण मिलान में तीस से अधिक गुण मिलते हो, राशि मैत्री हो तो भी मंगल दोष विचार नहीं करना चाहिए। 

 विशेष स्थितियों में चन्द्र कुंडली से भी मंगल योग का विचार करना चहिये।